‘ भविष्य झाँकने का एक प्रयास ’
“ कृपया अपने जीवन मे सही मार्गदर्शन प्राप्त करने हेतु हस्तलिखित सम्पूर्ण जन्म कुंडली का निर्माण अवश्य करायेँ “
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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार समतापुर नगर में मधुसूदन नामक एक व्यक्ति रहता था । वह बहुत धनवान था । मधुसूदन का विवाह बलरामपुर नगर की अति सुंदर रूपवती और गुणवंती लड़की संगीता से हुआ । एक बार मधुसूदन अपनी पत्नी संगीता को लेने बुधवार के दिन अपनी ससुराल बलरामपुर गया । मधुसूदन ने पत्नी के माता-पिता से संगीता को विदा कराने के लिए कहा, संगीता के माता-पिता मधुसूदन से बोले, बेटा ! आज बुधवार है, बुधवार को किसी भी शुभ कार्य के लिए यात्रा नहीं करते । परन्तु मधुसूदन नहीं माना । उसने ऐसी शुभ-अशुभ की बातों को न मानने की बात कही । मधुसूदन के न मानने पर संगीता के माता-पिता ने उसे बिदा कर दिया । दोनों ने बैलगाड़ी से यात्रा प्रारंभ की । दो कोस की यात्रा के बाद उसकी गाड़ी का एक पहिया टूट गया । वहां से दोनों ने पैदल ही यात्रा शुरू की । रास्ते में संगीता को प्यास लगी । मधुसूदन उसे एक पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने चला गया । थोड़ी देर बाद जब मधुसूदन कहीं से जल लेकर वापस आया तो वह देखता है कि, उसकी पत्नी के पास उसकी ही शक्ल-सूरत का एक दूसरा व्यक्ति बैठा है । यह देखते ही मधुसूदन बुरी तरह परेशान हो गया । संगीता भी मधुसूदन को देखकर हैरान रह गई । वह दोनों में कोई अंतर नहीं कर पाई । मधुसूदन ने उस व्यक्ति से पूछा, 'तुम कौन हो ? और मेरी पत्नी के पास क्यों बैठे हो ? मधुसूदन की बात सुनकर उस व्यक्ति ने कहा, अरे भाई, यह मेरी पत्नी संगीता है । मैं अपनी पत्नी को ससुराल से विदा करा कर लाया हूँ । लेकिन तुम कौन हो जो मुझसे ऐसा प्रश्न कर रहे हो ? मधुसूदन ने चीखते हुए कहा, तुम जरूर कोई चोर या ठग हो । यह मेरी पत्नी संगीता है । मैं इसे पेड़ के नीचे बैठाकर जल लेने गया था । इस पर उस व्यक्ति ने कहा, 'अरे भाई ! झूठ तो तुम बोल रहे हो ।
संगीता को प्यास लगने पर जल लेने तो मैं गया था । मैंने तो जल लाकर अपनी पत्नी को पिला भी दिया है । अब तुम चुपचाप यहां से चले जाओ । नहीं तो सिपाही को बुलाकर तुम्हें पकड़वा दूंगा । दोनों एक-दूसरे से लड़ने लगे । उन्हें लड़ते देख बहुत से लोग वहां एकत्र हो गए । नगर के कुछ सिपाही भी वहां आ गए । सिपाही उन दोनों को पकड़कर राजा के पास ले गए । सारी कहानी सुनकर राजा भी कोई निर्णय नहीं कर पाया । संगीता भी उन दोनों में से अपने वास्तविक पति को नहीं पहचान पा रही थी । राजा ने दोनों को कारागार में डाल देने के लिए कहा । राजा के फैसले पर असली मधुसूदन भयभीत हो उठा । तभी आकाशवाणी हुई, 'मधुसूदन ! तूने संगीता के माता-पिता की बात नहीं मानी और बुधवार के दिन अपनी ससुराल से प्रस्थान किया । यह सब भगवान बुधदेव के प्रकोप से हो रहा है । मधुसूदन ने भगवान बुधदेव से प्रार्थना की कि, हे ! भगवान बुधदेव मुझे क्षमा कर दीजिए । मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है । भविष्य में अब कभी बुधवार के दिन यात्रा नहीं करूंगा । और सदैव बुधवार को आपका व्रत किया करूंगा । मधुसूदन के प्रार्थना करने से भगवान बुधदेव ने उसे क्षमा कर दिया । तभी दूसरा व्यक्ति राजा के सामने से गायब हो गया । राजा और दूसरे लोग इस चमत्कार को देख हैरान हो गए । भगवान बुधदेव की इस अनुकम्पा से राजा ने मधुसूदन और उसकी पत्नी को सम्मानपूर्वक विदा किया ।
कुछ दूर चलने पर रास्ते में उन्हें बैलगाड़ी मिल गई । बैलगाड़ी का टूटा हुआ पहिया भी जुड़ा हुआ था । दोनों उसमें बैठकर समतापुर की ओर चल दिए । मधुसूदन और उसकी पत्नी संगीता दोनों बुधवार को व्रत करते हुए अपने गांव में आनंदपूर्वक जीवन-यापन करने लगे । भगवान बुधदेव की अनुकम्पा से उनके घर में धन-संपत्ति की वर्षा होने लगी । जल्दी ही उनके जीवन में खुशियां ही खुशियां भर गईं । बुधवार का व्रत करने से स्त्री-पुरुष के जीवन में सभी मंगलकामनाएं पूरी होती हैं ।
बुधवार व्रत के दिन क्या-क्या करना चाहिए ?
बुधवार व्रत के दिन भगवान शिव को सफेद फूल तथा हरे रंग की वस्तुएं चढ़ाई जानी चाहिए । तथा ब्राह्मणों को भोजन करवाकर यथाशक्ति दान देना चाहिए । इस दिन हरे-पीले रंग के कपड़े पहनने चाहिए । इस दिन एक समय ही बिना नमक का भोजन करना चाहिए । पन्ना रत्न धारण करना शुभ होता है । व्रतधारी को किसी भी रूप में व्रतकथा को बीच में छोड़कर, प्रसाद ग्रहण किए बिना कहीं नहीं जाना चाहिए । व्रत में हरी वस्तुओं का उपयोग करना चाहिए । मूंग का हलवा, हरे फल, छोटी इलाइची का विशेष महत्व है ।
बुधवार व्रत से लाभ :बुधवार का नियमित व्रत करने से सर्व-सुखों की प्राप्ति होती है. जीवन में किसी भी प्रकार का अभाव नहीं रहता । इससे अनिष्टकारी ग्रहों की शांति होती है. इस व्रत को करने से बुद्धि बढ़ती है ।
व्रत विधि :व्रत प्रारम्भ करने के दिन व्यक्ति को प्रातः उठकर संपूर्ण घर की सफाई करनी चाहिए । तत्पश्चात स्नानादि से निवृत्त होकर संपूर्ण घर को पवित्र करने के उद्देश्य से गंगा जल का घर भर में छिड़काव करना चाहिए । उसके बाद घर के ईशान कोण में भगवान शिव या बुध का चित्र या मूर्ति कांस्य के बर्तन में स्थापित करना चाहिए । उनपर बेलपत्र, अक्षत, धूप और घी का दीपक जलाकर विधिवत पूजा करनी चाहिए । इसके बाद इस मंत्र का ग्यारह माला जप करें....
‘बुध त्वं बुद्धिजनको बोधदः सर्वदा नृणाम् । तत्वावबोधं कुरुषे सोमपुत्र नमो नमः’॥